my thoughts: चंचल मना हो तुम देवी
आज मैं कह सकता हूँ
दुर्दि...: चंचल मना हो तुम देवी आज मैं कह सकता हूँ दुर्दिन में जो छोड़ो साथ कैसे सह सकता हूँ बिन तुम सखी कैसे रह सकता हूँ जीवन सपाट हो सके तो...
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लेखक बेचारा—किताब लिखे या ठेला लगाए?
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