मेरे एक अध्यापक साथी ने आज एक विचार रखा कि क्यों न POK कश्मीर और cokको मिला कर एक आज़ाद मुल्क बना दिया जाये? क्योंकि जितना इससे हमें राजस्व नहीं मिलता उससे अधिक तो हमें इसकी रक्षा पर खर्च करना होता है और इससे हमें देश के अन्दर भी आतंकवाद से गुजरना होता है.
मेरा ऐसा मानना बिलकुल भी नहीं है. अर्थ से इसकी गणना नहीं हो सकती. देश को सीमा का निर्धारण तो तब भी करना होगा . लेकिन जो नदिया हिमालय से निकलती है और जिन्हें देश की संस्कृति और तहजीब कहा जाता है उनका हम कैसे उपयोग कर पाएंगे? भारत कोई ब्रिटेन और स्काटलैंड नहीं हैं जो ऐसे देश का विभाजन हो. और ऐसे तो फिर नार्थ ईस्ट के राज्य और अरुणाचल जैसा विवाद भी सामने होगा. पंजाब के खालीस्थान की मांग को भी देखा है हमने. उड़ीसा भी मांग करेगा. और तमिलनाडु जो भाषा विवाद में हमेशा उलझा रहता है.
ऐसे निर्णय नहीं हो सकता. इसके लिए कुछ अलग से योजना बनानी पड़ेगी, जैसे नेपाल के साथ ..............अभी तो हम तिब्बत को वापिस अपने साथ लाने की सोचते है और इन तीनो हिस्सों को अलग कर दे. नहीं दोस्तों.
एक अत्यंत भयानक वायरस से पीड़ित लोगो कीराय का भी स्वागत है
मेरा ऐसा मानना बिलकुल भी नहीं है. अर्थ से इसकी गणना नहीं हो सकती. देश को सीमा का निर्धारण तो तब भी करना होगा . लेकिन जो नदिया हिमालय से निकलती है और जिन्हें देश की संस्कृति और तहजीब कहा जाता है उनका हम कैसे उपयोग कर पाएंगे? भारत कोई ब्रिटेन और स्काटलैंड नहीं हैं जो ऐसे देश का विभाजन हो. और ऐसे तो फिर नार्थ ईस्ट के राज्य और अरुणाचल जैसा विवाद भी सामने होगा. पंजाब के खालीस्थान की मांग को भी देखा है हमने. उड़ीसा भी मांग करेगा. और तमिलनाडु जो भाषा विवाद में हमेशा उलझा रहता है.
ऐसे निर्णय नहीं हो सकता. इसके लिए कुछ अलग से योजना बनानी पड़ेगी, जैसे नेपाल के साथ ..............अभी तो हम तिब्बत को वापिस अपने साथ लाने की सोचते है और इन तीनो हिस्सों को अलग कर दे. नहीं दोस्तों.
एक अत्यंत भयानक वायरस से पीड़ित लोगो कीराय का भी स्वागत है
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