मुक्तक
धरती की तो बात क्या फलक तक चिकते हैं यारो
कल गम हो जायेंगे बस्ती में आज दीखते है यारों
कुचलोगे कब तलक यूँ फूलों को पैरों तलेअपने
सियासतों का दौर है अरमान भी बिकते है यारों
हिंदुस्तान एकता समाचार-पत्र में प्रकाशित एस फॉर सिद्धि (उपन्यास) की समीक्षा पुस्तक समीक्षा पुस्तक — एस फॉर सिद्धि (उपन्यास) ...
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