मुक्तक
धरती की तो बात क्या फलक तक चिकते हैं यारो
कल गम हो जायेंगे बस्ती में आज दीखते है यारों
कुचलोगे कब तलक यूँ फूलों को पैरों तलेअपने
सियासतों का दौर है अरमान भी बिकते है यारों
पुस्तक समीक्षा “बलम संग कलकत्ता न जाइयों , चाहे जान चली जाये”- संदीप तोमर पुस्तक का नाम: बलम कलकत्ता लेखक: गीताश्री प्रकाशन वर्ष: ...
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