Sunday 18 September 2022

एक शेर

     दुनिया के रंजोगम तक बदल गए फकत 

उस चेहरे से अब भी उदासी नहीं जाती. 
जज्बा -नवाजी का हुनर बदस्तूर जारी है 
फाँकों में भी खाली कोई दिवाली नहीं जाती 

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