Tuesday, 11 October 2011

क्रीम बेचने वाली कंपनी क्या कहती है २१ दिनों में गोरा बने मतलब काले इंसान नहीं और हम इनके जाल में फंसते जाते है.यही सोच हमें बदलनी होगी, क्यों सोंदर्य प्रतियोगिता की जाती है, उसमे हिस्सा लेने वाले भी महा पागल. जो जिस्म की नुमायिसकरके भी हार कर बहार हो जाते हैं. शरीर को जहा सुन्दरता का पैमाना बना लिया जाये वहां स्वश्थ माहौल कैसे हो सकता है. ? यही प्रतियोगिता का दांग फाशन की सामग्री खरीदने को विवास करता है और इसी तरह ये मार्केट चलता हुआ हर घर में घर कर जाता है. इससे ही तो हमें बचना है. प्रतियोगिता को शरीर से निकर कर मन और मष्तिस्क तक लाना है.

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