धरती की तो बात क्या फलक तक चिकते हैं यारो
कल गम हो जायेंगे बस्ती में आज दीखते है यारों
कुचलोगे कब तलक यूँ फूलों को पैरों टेल अपने
सियासतों का दौर है अरमान भी बिकते है यारों
तारे तोड़ यूँ जमीं पर लाने की बात करने वाले
घुटने जोड़ कंधो के बल ओंधे ही गिरते है यारों
क्या ग़ालिब क्या मीर का गुणगान करते हो यूँ
भिखमंगे भी अब सुना है शायरी करते है यारों
पानी पर इस कदर दौड़ने का दौर अब नहीं फकत
छलक पड़ेंगे एक दिन जज्बात,आज सिमटे है यारो
भौतिक दौर में सँवार लो तमाम सपने "उमंग"
सुना है मुरझाये फूल भी यहाँ खिलते है यारों
कल गम हो जायेंगे बस्ती में आज दीखते है यारों
कुचलोगे कब तलक यूँ फूलों को पैरों टेल अपने
सियासतों का दौर है अरमान भी बिकते है यारों
तारे तोड़ यूँ जमीं पर लाने की बात करने वाले
घुटने जोड़ कंधो के बल ओंधे ही गिरते है यारों
क्या ग़ालिब क्या मीर का गुणगान करते हो यूँ
भिखमंगे भी अब सुना है शायरी करते है यारों
पानी पर इस कदर दौड़ने का दौर अब नहीं फकत
छलक पड़ेंगे एक दिन जज्बात,आज सिमटे है यारो
भौतिक दौर में सँवार लो तमाम सपने "उमंग"
सुना है मुरझाये फूल भी यहाँ खिलते है यारों
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