जब से उनको हमने ख़्वाबों में देखा है ।
बेशूमार प्यार हमने लुटाते हुए देखा है ।।
सर झुका के उन्होंने जब भी सलाम भेजा है ।
झुकी हुअी नजरो में हमने इंतज़ार देखा है।।
मस्त निगाहों से वो शरारत करते हैं अक्सर।
होश वालों से उन्हें तकरार करते देखा है ।।
गिला- शिकवा भी क्या करना अब उम्र भर।
अमीरों को भी दौलतें अक्सर माँगते देखा है ।।
अदना सा है अपना इश्क देख लो "उमंग"।
जीतकर जमाना हमने आशिक हारते देखा है।।
संदीप तोमर
बेशूमार प्यार हमने लुटाते हुए देखा है ।।
सर झुका के उन्होंने जब भी सलाम भेजा है ।
झुकी हुअी नजरो में हमने इंतज़ार देखा है।।
मस्त निगाहों से वो शरारत करते हैं अक्सर।
होश वालों से उन्हें तकरार करते देखा है ।।
गिला- शिकवा भी क्या करना अब उम्र भर।
अमीरों को भी दौलतें अक्सर माँगते देखा है ।।
अदना सा है अपना इश्क देख लो "उमंग"।
जीतकर जमाना हमने आशिक हारते देखा है।।
संदीप तोमर
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