पत्र अपने प्रेमी के नाम....
सुदीप !
कैसे हो? मुझे पता है आप ठीक नहीं होंगे ..ठीक हो भी कैसे सकते हो... कमजोर इंसान.. प्यार ने तुम्हे कुछ ज्यादा ही कमजोर बना दिया...मैं नहीं चाहती थी कभी तुम्हारी कमजोरी बनू... इसलिए कोशिश करती हूँ कि तुमसे कम मिलूं... तुमने मुझे कुछ सवालों की फेहरिस्त दी थी... तुमने इतने सवाल किये ..एक सवाल मेरा भी है... क्या तुम्हारा प्यार आकर्षण से परे है?क्या तुम मुझे मेरी सुन्दरता से इतर प्रेम करते हो?तुम मुझे हमेशा झूठी कहते हो... तुम्हे मैं झोठी क्यों लगती हूँ....क्या मैं सच में इतनी बुरी हूँ? क्या मैं ट्रस्ट वर्थी नहीं लगती ? तुम मुझे एक इंसान के नाते कहाँ पाते हो?सुदीप कहना नहीं चाहती थी लेकिन तुम्हे धोखे में भी नहीं रखना चाहती.... अब वो दिन पास आता जा रहा है जब हम दोनों के बीच कोई तीसरा आने वाला होगा..मुझे नहीं मालूम आगे क्या होगा? मैं तुम्हारी भावनाओं के साथ सरवाईव करने की कोशिश करुँगी.....कोई वजह नहीं कि हम ऐसे इंसान के साथ अपनी जिन्दगी जी रहे होंगे जिसे हम जानते तक नहीं.... तुमने अपनी लिखी कहानियां मुझे नहीं देनी चाहिए थी.... पह्ले पेज ने ही मुझे रुला दिया.... अगर आपने मुझे परखने के लिए ऐसा किया है तो मैं तुम्हे कभी माफ़ नहीं करुँगी...देखों तुम एक अच्छे इंसान हो.... मैं चाहकर भी तुम्हारी बराबरी नहीं कर सकती... तुम एक दिन बड़े लेखक बनोगे.....तब मैं देखूंगी कि इस वन्दे की हाईट इतनी ऊँची है कि देखने के लिए गर्दन को ऊँचा करना पड़े....तब शायद मुझे भी दुःख हो पछतावा हो कि मैंने इसे छोड़कर गलती तो नहीं की....मैं सिर्फ इतना कह सकती हूँ कि होने वाले साथी में तुम्हारे सवालों के उत्तर खोजूंगी .... आपको मेरी बाते शायद बहकी बहकी लगें.... लेकिन देखते हैं कि किश्मत में क्या लिखा है? समय की धारा का रुख देखते हैं.... मुझे तुम पर ट्रस्ट है लेकिन अपनी किश्मत पर नहीं.... किश्मत क्या करेगी ये ही तो देखना है ... लेकिन हाँ सुदीप तुम ऐसा कुछ भी नहीं करोगे.... जिससे मैं खुद को कभी माफ़ ना कर पाऊँ....
पता चला था कि तुम्हारी तबियत ख़राब है अब कैसे हो? तुम्हारी तबियत ख़राब होती है तो मेरा सिर दर्द हो जाता है और तुम्हारा भी.... जल्दी ठीक हो जाओ... फिर खूब बाते करेंगे और घूमेंगे .... तुमसे बहुत सी बाते करनी हैं.... तुम्हारा स्नेह मुझे बहुत कुछ करने की प्रेरणा देता है... मुझे जीने की प्रेरणा देता है.... तुम्हारे पास मन की सुन्दरता है ...मैं तुम्हे क्या समझती हूँ ये शब्दों में नहीं कहा जा सकता.... इसे बस भावनाओं से महसूस किया जा सकता है.... और ये तुम भी जानते हो....तुम कहते हो जिन्दगी की आखिरी साँस तक इंतजार किया जा सकता है... मुझे मालूम है जो सोचोगे,, कर दोगे...
सुदीप तुम्हे वैसे तो वेट करना अच्छा नहीं लगता फिर जिन्दगी भर कैसे कर पाओगे... हमें एक दुसरे को भूलना ही होगा....
चलो एक काम करते हैं... भूलने की ट्राई करते हैं.... फिर देखते है... और हाँ फ्यूचर् का ज्यादा मत सोचो....
शेष फिर कभी....
आपकी
परम
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