Wednesday, 13 May 2015

स्टेला का पत्र

प्रिय सुदीप   


नमस्कार ...
आपका आभार किन शब्दों में अदा करूँ....समझ नहीं आ रहा ..... ये भी समझ नहीं आ रहा कि कहा से शुरू करू......
कितना गलत सोचती थी मैं आपके बारे में.... आपका साथ काम करना ....काम करने का ढंग ,,,, आपका बातों का तरीका .... सबको देखती तो आपमें एक एटटयूड देखती थी..... .हर बार लगता ये क्या इंसान है किस गरूर में जीता है....... उस दिन जब आप पकोड़े बनाकर लाये तो देखा कि आपके अन्दर एक कुक भी है....फिर आपके बारे में आपके पुराने साथियों से जानना शुरू किया...... आपकी अच्छाईयाँ पता करने लगी तो खुद पर शर्मिंदा होती..... एक दूरी रही आपके और मेरे दरमयान ..... ना आप कभी बात करते ना मैंने करने की कोशिश की..... और हम नजदीक ही नहीं आ पाए..... उस दिन जब आप बैठे कॉफ़ी पी रहे थे तब आपने मुझे भी काफी ऑफर दिया.... कॉफ़ी की गर्मी से ज्यादा गर्माहट आपके साथ बात करने में थी.....
मैंने आपको कहा कि आप पुराने ख्यालात के हैं तो आपको बुरा नहीं लगा आप आक्रोशित नहीं हुए..... मुझे घोर आश्चर्य हुआ ...कैसे एक इंसान रियेक्ट नहीं करता..... मि. अखिल के छींटाकशी करने पर भी देखा आप रियेक्ट नहीं करते..... आपकी इस अदा ने मुझे आपका कायल बना दिया......
मैं अपनी निजी समस्या से उलझी हुई थी.... मुझे आपमें आशा की किरण दिखाई दी.... जब मैंने आपको दकियानूसी कहा तो आपने बड़ी सहजता से कहा था कि मैं राशि से जैमिनी हूँ..... और जैमिनी बड़े ही रोमांटिक होते है...मैंने उत्सुकता में कहा था कि हमें भी सुनाइए अपने रोमांटिसिज्म के किस्से तो आपने आपने अपने सात साल चले प्रेम प्रसंग को बिना झिझक के शेयर किया ..... तब मैंने आपसे अपने प्रेमी और उसके साथ विवाह की अड़चन का किस्सा शेयर किया , आपने बड़ी तल्लीनता से मुझे सुना.... और आपने जो मदद की उसकी बदोलत आज मैं मोहित की अर्धांगिनी हूँ... आप न होते तो जाति की दीवारे लांघने की हिम्मत ना मुझमें थी न ही मोहित में......
कभी कभी मन करता है आपके चरण की पूजा करूँ.....
आपका वो वाक्य मैं कभी नहीं भूल सकती..... आपने कहा था..... कि मेरा प्रेम सफल नहीं हुआ ...मैं चाहता हूँ जो भी प्रेम करें उसका प्रेम परिणति तक पहुंचे......
सुदीप जी आप महान हैं......जहाँ कही प्रेमी युगल को देखती हूँ आपकी याद आ जाती है...... वही कॉफ़ी का कप और आपसे साथ बातों की गर्माहट..... और मैं इस गर्माहट को ख़त्म नहीं करना चाहती......
आप ऐसे ही बने रहिये फिर कोई वंदना आपको देखने समझने में वक्त लगाये और फिर आप किसी की जिन्दगी में मशीहा बन जाएँ.....
आपकी सखी.....
स्टेला 

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