बंटवारा
माँ की अंत्येष्टि पर तीनो भाइयों ने तमाम संपत्ति का बंटवारा करने के फैसला किया ताकि किसी ग़लतफ़हमी या फसाद की गुंजाईश न रहे...तीनो ही बेटों की माँ के प्रति "अटूट श्रध्दा" उमड़ पड़ी...बड़े बेटे ने दिवंगत माँ को संबोधित किया,"माँ तू मुझे हमेशा खर्च के लिए पिताजी से चुप छुपा कर रूपये दिया करती थी..तू तो जानती है मुझे रुपयों से कितना प्यार है और फिर मेरे खर्च भी तो...... तेरे बैंक के रुपयों पर मेरा ही तो अधिकार है ना...
मझले बेटे ने तर्क किया."माँ, तू तो जानती है मुझे सोने से कितना प्यार है ..तू सबसे छिप छिपा कर मेरे लिए अंगूठी,चेन बनवा दिया करती थी तेरे गहनों पर तो मेरा ही अधिकार हुआ न ...
अब बारी सबसे छोटे बेटे की थी...उसने देखा--- उसकी आँखों के सामने माँ की अस्थियों का कलश रखा था ...उसने कलश को उठाया और बुदबुदाते हुए अपने कमरे की ओर बढ़ गया..दोनों बड़े भाइयों के कानों में छोटे के शब्द पड़े--" माँ, तेरी अस्थियाँ मेरे लिए तेरे सिद्धांतों का संबल है ... ये कलश मुझे पल पल मजबूती देता रहे... ऐसा आशीर्वाद दीजियेगा....
आभार :
लघुकथा संग्रह "कामरेड संजय
रचनाकार :संदीप तोमर
प्रकाशक :निहाल पब्लिकेशन एन्ड बुक डिस्ट्रीब्यूटर्स
दिल्ली
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