निज़ाम की बेवफाई सही न जाये
बीमार और बीमारी के प्रति मैं असंवेदनशील बिल्कुल नहीं हूँ। मेरे अंदर असीम संवेदना है। कुछ लोग नसीहत भी दे सकते हैं कि किस घड़ी में क्या लिखना चाहिए या ये कि अभी इन बातों का समय नहीं है लेकिन मुझे लगता है कि ये माकूल समय है। अभी दो दिन पहले ही मैंने लिखा था कि अवसाद में हो तो मुझसे बात करें। मुझे लगता है बात करने से, संवाद से हमारा ध्यान बार बार की मानसिक पीड़ा, शारीरिक पीड़ा से हटता है।
लेकिन अभी इस महामारी के दौर मे मैं देख रहा हूँ, मेडिकल सुविधाओं का अभाव है। समुचित व्यवस्था नही हो पा रही। कल ही दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के ट्वीट देखे जिनमे उन्होने केंद्र से मदद की गुहार लगाई कि अस्पतालों में 8 घण्टे जितनी ही ऑक्सीजन बची है। इनसे पूछा जाये भाई साल भर से क्या कर रहे थे जो ऑक्सीजन तक के प्लांट नहीं लगवा सके.
मैं हैरान इस बात को लेकर हूँ कि पिछले साल इन्हीं दिनों में हाहाकार मचा था, लोगो का शहरों, महानगरों से पलायन शुरू हो गया था। पलायन करने वाला तबका, मजदूर या रोज की रोटी कमाकर खाने वाला था। उसके बाद से एक साल तक हमने कितनी व्यवस्था की? कल ही दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अपील की कि लोग दिल्ली छोड़कर न जाएं। आपके पास अस्पतालों में व्यवस्था नहीं है, लोगों को खिलाने को भोजन की समुचित व्यवस्था नहीं है, आपकीं राशनिंग प्रणाली दुरुस्त नहीं है।फिर आपने पिछले साल से क्या सबक लिया।
कल रात को देश के निजाम ने फिर से एक तरफा वार्तालाप किया। शायद चुनावी रैलियों की थकान उतारने का ये भी एक माध्यम हो, वैसे मुझे नहीं मालूम उन्होंने क्या बोला, मेरी उन्हें सुनने में कोई दिलचस्पी भी नहीं है। वैसे अब मन की बात होती भी कहाँ हैं, और फिर चुनावी mode पर रहने वाले निज़ाम में बचता भी क्या है जिसे सुना जाए?
मेरी हैरानी का सबसे बड़ा कारण ये है कि पिछले 70 साल बनाम 7 साल का लेखा जोखा सब आपके सामने है। वैसे तो 700 साल बनाम 7 साल का आकंड़ा भी भ्रामक है कुल 77 साल तो आज़ादी के हुए भी नहीं। बहराल इन 7 सालों में जो नोटबन्दी, नाजायज जीएसटी, सर्जिकल स्ट्राइक, अनुच्छेद 370( कुपढो की भाषा की धारा 370) राम मंदिर का महिमामण्डन कर रहे थे। और खूब हिन्दू-मुस्लिम खेल रहे थे, आज वे सब अपने करीबी के बीमार होने पर अस्पताल में बेड के न मिलने पर , ऑक्सीजन के सिलेंडर की अनुपलब्धता पर गुहार लगा रहे हैं। मानवता कल भी अपना काम कर रही थी। इधर देख रहा हूँ क्या हिन्दू क्या मुस्लिम सब एक दूसरे की मदद कर रहे हैं, सिवाय सरकारों के। सब ब्लेम गेम की राजनीति चल रही है।
एक लड़का प्लाज्मा डोनेट करने के लिए रोज़ा तोड़ देता है तो दूसरा नवरात्रि का व्रत तोड़ देता है लेकिन मानवता को नहीं टूटने देता है। मैं हमेशा इसी मानवता का पक्षधर रहा हूँ और यही संविधान में वर्णित पन्थ निरपेक्षता का असल अर्थ भी है। सवाल संविधान में जोड़ी गयी पंथ निरपेक्षता पर आपको करने का अधिकार है, आप कीजिये लेकिन सरकार से आप सवाल भी करिए कि आज उसी संस्कृति से मानवता शर्मशार होने से बच रही है। आपको ये भी पूछना चाहिए कि जो हम सबने सरकार पर विश्वास करके पीएम केयर फण्ड में पैसा दिया था उससे अस्पताल में एक्सट्रा बेड की व्यवस्था क्यों नहीं हुई, ऑक्सीजन के प्लांट क्यों नहीं लगे। आप सवाल करेंगे कि समय कहाँ मिला, मैं कहूंगा कि समस्या खत्म नहीं हुई थी, तो सरकार क्यों सोई रही। चुनाव स्थागित करके मूलभूत आवश्यकता पर ध्यान दिया जाना चाहिये था। लेकिन सरकार की मंशा हर राज्य में। खुद की सरकार की अधिक दिखाई देती है।
हाँ तो मैं कह रहा था कि 1 साल में मेडिकल क्षेत्र मे हमारी उपलब्धि क्या है, एक मित्र एम्स की अपने इलाके मे घोषणा होने मात्र से फुटो उछल रहे थे। आप कहेंगे 1 साल कितना कम समय होता है, में फिदेल कास्त्रो के क्यूबा का उदाहरण दूँगा, याद कीजिये लातिन अमेरिका के ऊपर यूएसए की ज्यादतियों के किस्से। क्यूबा की सरकार ने जो फिदेल कास्त्रो के नेतृत्व में थी, उसने अमेरिका के सामने घुटने नहीं टेके, अमेरिका ने क्यूबा को गैस देने से मना कर दिया था, फिदेल ने जनता का आव्हान किया और कहा कि घर के फर्नीचर जलाकर खाना बनाओ मुझे समय दो, हम अपने गैस प्लांट लगाएँगे, ये अलग तरह का राष्ट्रवाद था जो जर्मनी, फ्रांस और इजराइल के राष्ट्रवाद से अलहदा था। उसने एक साल से कम की अवधि में गैस प्लांट लगाकर घर घर गैस पहुंचाई। आप कहँगे कि रूस की सहायता के बिना ये सम्भव न था मैं कहूंगा आपके पास भी एक महाशक्ति का मित्र देश है। आप कीजिये। फिर आपको तू केयर फंड में जनता ने पैसा दिया है।
दरसअल ये सब मामले मंशा से तय होते है। जब शिक्षा और स्वास्थ्य तक को निजी हाथों में सौंपने का मन निज़ाम ने बना लिया है तो फिर ऊए सब सवाल भी बेमानी नज़र आएंगे लेकिन सवाल मेरा अधिकार है। और मैं मेरे अधिकार का प्रयोग करूँगा। आपको दिक्कत हो तो कश्मीर की प्लाटिंग पर आप ध्यान केंद्रित कीजिये।
सन्दीप तोमर
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